गुरुवार, 19 अप्रैल 2012

क्या गया नगरनिगम का चुनाव अवैध है : प्रक्रिया का पालन नही


क्या गया  नगरनिगम का  चुनाव अवैध है : प्रक्रिया का पालन नही

बिहार में अभी नगरपालिका का चुनाव घोषित किया गया है चुनाव की अधिसूचना निर्गत कर दी गई है। चुनाव के संचालन के लिये जो प्रक्रिया है , उसके अनुसार प्रपत्र ११ में एक सूचना निर्गत की जायेगी इस सूचना में नामांकन दाखिल करने की तिथी, संवीक्षा (  scrutiny)  की तिथी , नाम वापसी की तिथी तथा मतदान की तिथी अंकित की जायेगी एवं इसका प्रचार अन्य माध्यमों के साथसाथ नगर निकाय क्षेत्र में ढोल पिटवाकर किया जायेगा गया नगर निगम के क्षेत्र में ढोल पिटवाकर यह प्रचारित नही किया गया है कल कोई भी व्यक्ति चुनाव के बाद कह सकता है कि वह अनपढ है तथा उसे चुनाव की सूचना नही प्राप्त हुई इस कारण से वह चुनाव लडने से वंचित रह गया ऐसी स्थिति आने पर चुनाव की वैधानिकता प्रश्न चिंह पैदा हो जायेगा पढे लिखे लोग भले हीं इसे गंभीरत से लें परन्तु यह गंभीर मामला है  अनपढ व्यक्ति को भी समान अधिकार हासिल है अब यह चुनाव आयोग हीं बता सकता है कि चुनाव वैध है ?

बिहार चुनाव आयोग भी इमानदारी बरते: गलत प्रेक्षक न बनाये

बिहार में नगरपालिकाओं के चुनाव की अधिसूचना निर्गत हो गई है । १६ अप्रील से नामांकन की प्रक्रिया शुरु हुई है जो २४ अप्रील तक चलेगी । आयोग ने चुनाव हेतु पर्यवेक्षकों की सूची भी निर्गत कर दी है  पर्यवेक्षकों में कुछ नाम ऐसे हैं जिनके बारे में मुझे पता है कि वे अपने -अपने विभाग में भ्रष्टाचार में लिप्त रहे हैं। हालांकि उनके खिलाफ़ कोई जांच नही हुई और अगर हुई भी तो क्लीन चीट दे दी गई , परन्तु एलेक्सन  वाच का काम सिर्फ़ प्रत्याशियों पर निगरानी रखना नही है, हम चुनाव आयोग की गतिविधियों पर भी निगरानी रखेंगें । महिला प्रेक्षको की भी सूची निर्गत की गई है जिसमें बाल विकास परियोजना पदाधिकारी भी महिला प्रेक्षक बनाई गई हैं। अभी तक शायद एक भी बाल विकास परियोजना पदाधिकारी नही मिलेगीं जो आंगनबाडी केन्द्रों से नाजायज रकम न वसूलती हों। प्रतिमाह एक केन्द्र से दो हजार रुपया नाजायज रकम वसूली जाती है । समझ में नही आता कि चुनाव आयोग इस तरह के लोगों को क्यों प्रेक्षक बनाता है जिन्हें आसानी से खरीदा जा सके । चुनाव आयोग को चाहिये कि साफ़ एवं अच्छी छवि के अधिकारियों को प्रेक्षक बनाये ।

क्या गयानगरनिगम का चुनाव अवैध है : प्रक्रिया का पालन नही

क्या गया नगरनिगम का चुनाव अवैध है : प्रक्रिया का पालन नही
बिहार में अभी नगरपालिका का चुनाव घोषित किया गया है चुनाव की अधिसूचना निर्गत कर दी गई है। चुनाव के संचालन के लिये जो प्रक्रिया है , उसके अनुसार प्रपत्र ११ में एक सूचना निर्गत की जायेगी इस सूचना में नामांकन दाखिल करने की तिथी, संवीक्षा ( scrutiny) की तिथी , नाम वापसी की तिथी तथा मतदान की तिथी अंकित की जायेगी एवं इसका प्रचार अन्य माध्यमों के साथसाथ नगर निकाय क्षेत्र में ढोल पिटवाकर किया जायेगा गया नगर निगम के क्षेत्र में ढोल पिटवाकर यह प्रचारित नही किया गया है कल कोई भी व्यक्ति चुनाव के बाद कह सकता है कि वह अनपढ है तथा उसे चुनाव की सूचना नही प्राप्त हुई इस कारण से वह चुनाव लडने से वंचित रह गया ऐसी स्थिति आने पर चुनाव की वैधानिकता प्रश्न चिंह पैदा हो जायेगा पढे लिखे लोग भले हीं इसे गंभीरत से लें परन्तु यह गंभीर मामला है अनपढ व्यक्ति को भी समान अधिकार हासिल है अब यह चुनाव आयोग हीं बता सकता है कि चुनाव वैध है ? यह स्थिति सिर्फ़ गया नगर निगम की हीं नही है बल्कि बिहार के सभी नगर निकायों की है । ढोल पिटवाकर नगर निकाय क्षेत्र में प्रपत्र ११ का आम प्रचार न कर ना चुनाव की वैधानिकता पर प्रश्न चिंह पैदा कर देता है ।